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होली क्यों मनाते हैं? आखिर क्यों मनाया जाता है होली का त्यौहार जानिए

होली क्यों मनाते हैं – बुरा ना मानो होली है आई मस्तानों की टोली है हरे लाल नीले गुलाबी हैं रंग जानिए किस रंग को रखें अपने संग दोस्तों आप सभी को मेरा रंगों भरा नमस्कार मेरी तरफ से आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं. आज की इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की होली क्यों मनाई जाती है इसका मुख्य कारण क्या है।

होली क्यों मनाते हैं?
होली क्यों मनाते हैं?

प्रिय साथियों होली का त्यौहार हमारे देश में बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है. तो होली आ चुकी है इस होली पर आप सभी पाठकों को Happy Holi. आखिर होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है इसके बारे में आप जानना चाहते हैं तो बने रहिए हमारे साथ इस लेख में अंत तक इस आर्टिकल में मैं आपको होली से जुडी हर छोटी बड़ी जानकारी के बारे में बताने वाला हूँ. बस इसके लिए आपको सबसे पहले इस लेख को ध्यान से लास्ट तक पूरा पढ़ना होगा।

वैसे तो आप सभी ने अपने अपने बचपन में Holi के त्यौहार की बहुत सारी कविताएं एवं कहानियां सुनी होंगी और सुनते भी आ रहें होंगे और आप होली के त्यौहार को धूम धाम के साथ मनाते भी होंगे लेकिन आपको किसी ने भी ये नहीं बताया होगा की आखिर होली क्यों मनायी जाती है इसका क्या कारण है तो आज हम आपको इसके बारे में कम्प्लीटली फुल इनफार्मेशन देने वाले हैं।

रंगो के त्यौहार के तौर पर मशहूर holi का ये त्यौहार फागुन महीने की पूर्णमा के दिन मनाया जाता है इस त्यौहार में तेज संगीत ढोल नगाड़े बजाकर एक दूसरे के ऊपर रंग लगाया जाता है. भारत के अन्य त्यौहारों की तरह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है जी हाँ दोस्तों प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार होली का त्योहार हिरण्यकश्यप की कहानी से जुड़ा हुआ है। तो आइए जानते हैं की आखिर होली मनाने का कारण क्या है।

जैसा की दोस्तों हम सभी को पता है की अपना भारत देश एक धार्मिक देश है इस देश में विभिन्न प्रकार के लोग रहते है हिन्दुस्तान का हर नागरिक कोई ना कोई धर्म के साथ जुड़ा रहता है और उस धर्म में बहुत से ऐसे त्यौहार भी होते होंगे जिन्हे वे बहोत ही धूम धाम से मनाते हैं। जैसे की हिन्दू धर्म में Holi के त्योहार को बहुत धूम धाम के साथ मनाते हैं. होली के दिन भारत देश के सभी सरकारी दफ्तरों की छुट्टी रहती है।

होली क्यों मनाते हैं :-

होली का यह त्योहार पौराणिक कथाओं के साथ जुड़ा हुआ है कहा जाता है की हिरण्यकश्यप नाम का प्राचीन काल में एक बहुत ताकतवर बलशाली अशुर हुआ करता था उस अशुर को ब्राह्मदेव ने यह वरदान दिया था की तुम्हें कोई भी इंसान और नाही ही कोई जानबर मार नहीं सकता है।

हिरण्यकश्यप के पास असीम शक्ति होने के कारण वो अपने आप को ही भगवान समझने लगा था जिसकी वजह से वो अपने राज्य के लोगों पर बहुत ज्यादा अत्याचार करने लगा था और उनसे कहता था की तुम भगवान विष्णु की पूजा ना करके मेरी पूजा करो।

अशुर का एक पुत्र भी था जिसका नाम प्रह्लाद था प्रह्लाद एक अशुर का पुत्र होने बाबजूद भी वो भगवान विष्णु की पूजा करता था. अशूर के खौफ से राज्य के सभी लोग उसकी पूजा करने लगे थे लेकिन उसके पुत्र ने हिरण्यकश्यप की एक ना सुनी और वह हर रोज भगवान विष्णु जी पूजा ही करता था लेकिन हिरण्यकश्यप अशुर को यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं था।

हिरण्यकश्यप अशुर ने बहुत सी कोशिशे की कि मेरा पुत्र विष्णु की भक्ति छोड़कर मेरी भक्ति करना शुरू कर दे. परन्तु अशुर हर बार अपने प्रयास में असफल हो जाता था। ऐसा करते करते उसका क्रोध बहुत ज्यादा बढ़ गया था और फिर उसने अपने की पुत्र को जान से मारने का फैसला कर लिया।

इस घिनौनी हरक़त के लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका से मदद मांगी परन्तु उसकी बहिन होलिका को भी भगवान शिव का एक वरदान प्राप्त था जिसमें उसे एक वस्त्र दिया था जब तक उसके पास वो वस्त्र रहेगा तब तक बहिन होलिका को कोई जला नही सकता है।

अशुर हिरण्यकश्यप ने अपने आप में एक षड्यंत्र बनाया और अपनी बहिन होलिका से कहा की वो प्रह्लाद को अपनी गोदी मे लेकर के जलती हुई आग मे बैठ जाए. क्योंकी आग मे उसकी बहिन होलिका तो जल नहीं सकती है चूकि उसे भगवान शिव जी का वरदान प्राप्त है लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद आग में जलकर के भष्म हो जाएगा जिससे राज्य के सभी लोगों की समझ में आए की यदि हमने उसकी बात नहीं मानी तो हमारा भी यही अंजाम होगा।

परन्तु होलिका जब प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी तो प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का जाप कर रहे थे की ये विष्णु भगवान रक्षा करना इसी बीच भगवान विष्णु जी ने एक षड्यंत्र बनाया और ऐसा तूफान चला की जिससे होलिका के अंग पर लगा वो वस्त्र उस तूफान में उड़ गया और आग से न जलने का वरदान प्राप्त करने वाली बहिन होलिका उसी आग में जलकर के भस्म हो गयी. और प्रह्लाद को अग्नि जी ने छुआ तक भी नहीं

दोस्तों तब से लेकर अब तक होली का त्यौहार मनाया जाता है. Holi वाले दिन को हिन्दू धर्म के लोग बुरायी पर हुई अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं दोस्त इस दिन से ही होली का त्यौहार हिन्दुओं में बहुत में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है इस त्योहार को मनाने के लिये लोग रंग बिरंगी रंगो का इस्तमाल करते हैं।

होली वाले दिन के ठीक एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है इस दिन लोग लकड़ी, घास एवं गाय के गोबर से बने ढेर को चारों तरफ घूमकर अपनी बुरायी का दहन करते हैं और यह वचन लेते हैं अब हम आगे अपनी जिंदगी में कभी भी किसी बुरा और अपने आप पर घमण्ड नहीं करेंगे।

इस लेख को पढ़ने के बाद आपको पता चल गया होगा की होली क्यों मनाते हैं Holi का पावन त्यौहार क्यों मनाया जाता है। आइये जानते हैं कुछ बेहतरीन होली विश करने वाली शायरी

होली की शुभकामनाएं देने के लिए कुछ बेहतरीन शायरी :-

होली विश करने के लिए हमने नीचे कुछ शायरी लिखी हैं जो आपको बहुत पसंद आएगी।

  • गुलाब का रंग गुब्बारों की मार, सूरज की किरण खुशियों की भरमार, चाँद की चाँदनी अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको रंगो का त्यौहार।
  • रंगो की वर्षा गुलाब की फुहार, सूरज की किरणें खुशियों की बौछार, चन्दन की खुशबू अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको होली का त्यौहार।
  • फूलों ने लिखना छोड़ दिया, तारों ने चमकना छोड़ दिया, होली के बाकि हैं अभी कुछ दिन, फिर आपने अभी से नहाना छोड़ दिया।

प्रिय पाठकों आपको और आपके परिवार को होली के पावन अवसर पर मेरे और मेरे परिवार की तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं, होली के रंगों की तरह आपकी जिंदगी भी खुशियों के रंगो से भरी हो मेरी भगवान से यही दुआ है Wish You Very Happy Holi

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