साइकिल का अविष्कार किसने किया जानिए सम्पूर्ण जानकारी
साइकिल का अविष्कार किसने किया था – एक समय था जब लोग साइकिल से मीलों का सफ़र तय किया करते थे और साइकिल ही सफर के लिए तेज और सुरक्षित बाहन माना जाता था. जब कभी किसी के यहाँ साइकिल आती थी तो उसे देखने के लिए भींड लग जाया करती थी लेकिन वक्त बदलने के साथ साथ साइकिल की जगह अन्य दूसरे मोटर बाहनों ने ले ली परन्तु आज के समय में भी साइकिल से चलने वालों की संख्या कम नहीं हुई है और कुछ लोगों के लिए यह फिटनेस पाने का तो कुछ लोगों का यह रोजी रोटी कमाने का जरिया भी है।
साइकिल का इतिहास 19वी शदी के प्रारंभ से जुड़ा है उस वक्त केबल घोड़ा गाड़ी ही लोगों के आने जाने का प्रमुख साधन हुआ करते थे जो लोग इसे अफोर्ड नहीं करते थे वो मीलों दूर पैदल चलकर ही यात्रा किया करते थे 19वी सदी मे जब यूरोप में साइकिल की शुरुआत की गई और 21वी सदी की शुरुआत में एक समय में एक अरब से अधिक साइकिलें इस दुनिया में अस्तित्व मे थी. ये संख्या कारों की संख्या से अधिक है ये एक क्षेत्र में परिवहन के प्रमुख साधन है।
साइकिल आज भी बच्चों के खिलोने, सामान्य फिटनेस, करियर एवं सेवाओं, साइकिल रेसिंग और Cycle स्टंट के लिए आज भी बहुत लोकप्रिय है तो आज के इस पोस्ट में विज्ञान और इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को बताने वाले हैं की साइकिल का अविष्कार किसने किया था आइए जानते है।
साइकिल का अविष्कार किसने किया :-
जिन लोगों को नही पता उन्हे बता दे कि साइकिल के अविष्कार में कई लोगों का योगदान रहा है इसलिए किसी एक को इसके अविष्कार का श्रेय देना सही नहीं है जैसे कि हर किसी अविष्कार में किसी एक का योगदान नहीं होता है क्योंकि दुनिया में जितने भी अहम अविष्कार हुए हैं उसमे बहुत से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का अलग अलग समय में योगदान रहा है इसी तरह साइकिल का इतिहास आज भी वैज्ञानिकों के बीच एक बहस का मुद्दा बना हुआ है कि आखिर साइकिल का असल अविष्कारक कौन है. कि साइकिल का अविष्कार किसने किया था।
प्रथम प्रयास – माना जाता है कि 15वी शदी में वैज्ञानिकों और इंजिनियरों ने ऐसे बाहन को बनाने पर जोर दिया था जिसे बिना घोड़ा गाड़ी के चलाया जा सके और इसी विचार के चलते भाप इंजिन, कार, रेलगाड़ी और साइकिल का सफल अविष्कार हुआ ठीक इसी तरह पहिये का एक बाहन बनाने के लिए जिसे बिना जानवरों के चलाया जा सके इसकी शुरुआत सन 1418 में की गई थी Giovanni Fontana नाम के इटायली इंजिनियर को सबसे पहले इस बाहन को बनाने का श्रेय दिया जाता है जिसे आज साइकिल कहते हैं।
अगर आपको नहीं पता तो बता दें कि Cycle शुरुआत से ही दो पहिये बाली नहीं हुआ करती थी बल्कि इसे चार पहिए बाला बनाया गया था ऐसा इसलिए बनाया गया था ताकि इसे चलाने में बाधा न आये मतलब चलाते वक्त इसका बैलेंस न बिगड़े और चालक इसे आसानी से चला सके Giovanni Fontana ने चार पहिए वाला बाहन बना तो दिया था लेकिन 400 सालों तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और Giovanni Fontana का यह बाहन वक्त की धूल में कहीं दवा रह गया।
दूसरा प्रयास – तक़रीवन 400 साल के बाद सन 1813 में जर्मन इन्वेंटर Karl von Drais ने किसी ऐसे बाहन को बनाने का सोचा जिसे इंसान खुद के बल से गति पैदा करके यात्रा कर सके और फिर इसी सोच के साथ Karl von Drais ने साइकिल बनाने पर जोर दिया
सन 1817 में Drais ने Giovanni fontana के चार पहिए साइकिल को बदलकर उसे दो पहिए साइकिल में बदल दिया इनका यह अविष्कार काफी लोकप्रिय हुआ यूरोप में लोग इसे Hobby hours अर्थात काठ का घोड़ा कहते थे इसे आप साइकिल का पहला रूप कह सकते हैं लकड़ी की इस साइकिल में दो पहिए हुआ करते थे और बीच में आदमी को बैठकर उसे आगे की ओर धकेलना होता था।
Drais ने साइकिल का निर्माण तो कर दिया जो लकड़ी की बनी थी तथा इसका नाम ड्रेसियन रखा गया था पर उनकी साइकिल में अभी भी बहुत सी कमियां थीं सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उनकी बनाई साइकिल को चलाने बाले को अपने पैरों से साइकिल को धकेलना पड़ता था।
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तीसरा प्रयास – खुद से ही पीछे धकेलकर साइकिल चलाना सच में बहुत ही थकाने वाला काम था और फिर इसी मेहनत को दूर करने के लिए अविष्कार हुआ पैडल का, पैडल बनाने का पुरा श्रेय जाता है स्कोडलेंड के एक लोहार Kirkpatrick Macmillan को सन 1839 में Mecmillan ने कुछ लोगों को साइकिल चलाते देखा तो उसने गौर किया कि लोग अपने पैरो से साइकिल को धक्का मारकर चला रहे हैं. साइकिल इस तरह से चलाने से जब जल्दी थक जाया करते थे जिससे साइकिल चलाने का मजा नहीं आता था साइकिल को चलाने से ज्यादा जोर और थकावट ना हो इसी सोच के चलते mecmillan साइकिल चलाने के आसान तरीके ढूंढने लगे.
मैकमिलन एक लोहार थे इसलिए वो इस कार्य में दिलचस्पी लेने लगे और फिर उन्होंने अपनी हुनर का इस्तमाल करते हुए साइकिल के लिए कुछ बनाने का सोचा जिन्होंने कुछ ही समय में पैडल बनाकर तैयार कर दिया जो आज भी साइकिल में प्रयोग किया जाता है उन्होंने जैसे ही साइकिल में पैडल को लगाया तो साइकिल का पूरा हिसाब बदल गया अब उसे पहले की तरह धक्का देकर चलाने की आवश्यकता नहीं थी अब वो ज्यादा आरामदायक हो चुकी थी।
Macmillan ने बिना पैरों से घसीटकर चलाये जाने बाले यंत्र की खोज की जिसे उन्होंने बेलॉसिपीट का नाम दिया पर बाद में ऐसा माना जाने लगा कि कुछ वर्ष बाद सन 1763 में फ़्रांस के पियरलमेंट ने इस पैडल की खोज कर ली थी हालांकि इस बात पर आज भी विवाद है कि पैडल का प्रयोग सबसे पहले किसने किया था।
चौथा प्रयास – 19वी शदी तक यूरोप में साइकिल इतनी लोकप्रिय हो गई थी कि बहुत सी कंपनियाँ अपना पूरा ध्यान साइकिल बनाने में लगा चुकी थी क्योंकि साइकिल उस समय तक यूरोप में बेहद ही फैमस और फायदेमंद बिजनेस बन चुका था जिसके चलते बहुत सी साइकिल मेनिफेक्सन कंपनियों का निर्माण हुआ जो तरह तरह की डिजाइन के साथ साथ नई नई साइकिल्स का निर्माण करती थी।
फ़्रांस के दो भाई Pierre michaux और Pierre lellement ने साइकिल में पैडल और बैठने के लिए सीठ जोड़कर नई साइकिल लोगों के सामने पेस की, सन 1864 में आई इस साइकिल को लोगों ने काफी ज्यादा पसंद किया दोनो भाइयों ने खूब पैसे इकट्ठे करके इसका उत्पादन बड़े स्तर पर शुरू कर दिया इस बीच उन्होंने अपनी साइकिल में कुछ बदलाव किया और नई साइकिल का नाम रखा Boneshaker
1869 में युबनेमेअर ने साइकिल का एक नया मॉडल तैयार किया जो हलके फ्रेम वाली और तेज गति से चलने बाली साइकिल थी इसमे आगे की तरफ बड़े बड़े पहिए लगे होते थे लेकिन इन्हें अधिक चढ़ाई और ढलान वाले रास्तों पर चलाने में दिक्कत होती थी इसके कुछ वर्षों बाद John Kemp Sterley ने सेफ्टी बाइसिकल नाम की पहली साइकिल लॉन्च की उनकी साइकिल में पैडल पिछले पहिए से जुड़े थे और उसके हेंडल को जरूरत के हिसाब से मोडा जा सकता था इसका नाम रोवर था जो 20वी शदी की शुरुआत में लोगों को खूब पसंद आई.
1900 से 1950 के दशक को साइकिल को गोल्डन ऐरा कहा जाता था क्योंकि तब तक ये लोगों के आने जाने का साधन बन चुकी थी साइकिल लोकप्रिय तो बहुत हुई पर जैसे जैसे बक्त बदलता गया उसी के साथ विकास भी तेजी से होता गया जहाँ लोग पहले घोड़ा गाड़ी और बैल गाड़ी को प्रमुख साधन मानते थे पर अब 19वी के इंजन के अविष्कार के बाद कार और ट्रेन जैसे महत्वपूर्ण बाहनों का प्रयोग यात्रा के लिए किया जाने लगा इसी यात्रा को आसान बनाने के लिए पैरों से चलाने वाली Cycle का अविष्कार किया गया था।
बदलते समय के साथ साथ वैज्ञानिकों और इंजिनियरों ने इसमे सुधार किया और उन्होंने इसमे इंजन का इस्तेमाल करके इसे और भी ज्यादा आरामदायक बना दिया इसे आगे चलकर मोटर साइकिल का नाम दिया गया जो कि आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है खास करके एशिया देशो में इसकी लोकप्रियता सबसे अधिक है।
Cycle से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :-
- Cycle का अविष्कार यूरोप में हुआ था पुरानी साइकिल आज की साइकिल से बिल्कुल अलग थी धीरे-धीरे साइकिल में सुधार होता गया और आधुनिक युग में यह एक आराम दायक एवं सस्ती बन चुकी है।
- माना जाता है कि 1817 में जर्मनी के बेरीन फोर्न ड्रेवेस ने साइकिल की रुपरेखा तैयार की यह लकड़ी की बनी साइकिल थी और इसका नाम ड्रेसियन रखा गया था।
- भारत ने भी साइकिल के पहियों की आर्थिक तरक्की में अहम भूमिका निभाई 1947 में आजादी के बाद अगले कई दशक तक देश में साइकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही अनुमान के मुताबिक 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी।
- साइकिल को उसका यह नाम 1860 में फ़्रांस में मिला 1840 तक साइकिल ऐसे ही पैर से धक्के मारकर चलती रही इसके बाद स्कॉडलेंड के एक लोहार ने साइकिल का पैडल बनाया था।
- साइकिल चलाना इसलिए भी मजेदार है क्योंकि इसका मेंटेनेन्स करना बहुत आसान और कम खर्चीला है।
- दुनिया में एक ऐसी भी साइकिल बनाई गई है जो 20 मीटर लम्बी है और इस पर एक साथ 35 लोग बैठ सकते हैं।
- दुनिया में जापान पहला देश है जिसने केवल साइकिल पार्किंग के लिए अंडरग्राउंड मल्टीज स्टोरी ऑटोमेटिक पार्किंग सिस्टम लगाया हुआ है।
- दुनिया में हर साल 10 करोड़ साइकिल बनाई और बैची जाती है।
- सबसे पहले बनाई गई साइकिल लकड़ी की बनाई गई थी इस साइकिल को Hobby hours कहा जाता है।
दोस्तों आज का ये लेख साइकिल का अविष्कार किसने किया आप सभी को कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताएं ताकि हम आपको और भी बहुत कुछ बता सके. अगर आपको यह लेख थोड़ा बहुत भी पसंद आया हो तो आप अपने सभी दोस्तों, रिस्तेदारो, जान पहचान के लोगो को शेयर जरूर करें ताकि उन्हे भी साइकिल के आविष्कार के बारे में पुरी जानकारी मिल सके. Share करने के लिए आप Facebook Whatsapp जैसी सोशल मीडिया का इस्तमाल कर सकते हैं. धन्यवाद