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क्रिकेट का इतिहास क्या है? जानिए क्रिकेट की शुरुआत कब से हुई

क्रिकेट का इतिहास – वर्तमान में पूरी दुनिया में खेल कूद को एक अहम भूमिका मिल चुकी है जो हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं वैसे तो आज दुनिया भर में बहुत से खेल खेले जाते हैं जो कई शदियों से खेले जा रहे हैं क्योंकि पहले के समय में इंसानो के मनोरंजन का यही एक जरिया था पर ऐसा नहीं था कि हर खेल लोगों को बहुत ही पसंद आता था. लेकिन कुछ खेल ऐसे भी हैं जो शदियों से खेले जा रहे है और लोगों को काफी पसंद भी आते हैं हालांकि पहले उन्हे इतनी मान्यता और प्रशंसा नहीं मिली थी जितनी आज मिल रही है ऐसा ही एक खेल है ‘Cricket’ 

क्रिकेट आज से सैकड़ो वर्ष पहले इंग्लैंड के एक छोटे से गांव में शुरू हुआ था जो आज के समय मे फुटबॉल के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल है भारत में ये खेल एक अलग हि किस्म के लोगो को मनोरंजित और प्रभापित करता है यहाँ इस खेल के दीवानों की कोई कमी नहीं है इसका भारत में इस तरह का जुनून है कि इसे त्योहारों की तरह मनाया जाता है. ना सिर्फ भारत में बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका के खेल प्रेमियों के लिए ये एक अलग छाप छोड़ता है और ये यहाँ देखा जाने बाला सबसे लोकप्रिय खेल है।

अगर पूरे विश्व की बात करे तो यह फुटबॉल के बाद देखा जाने वाला दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल है. अब तक भारत में खेले जाने वाले खेल जैसे हॉकी, कबड्डी, बेडमेंटन, बॉलीबोल और इन सभी खेलो में सबसे लोकप्रिय खेल है Cricket, क्रिकेट ने भारत में खेले जाने वाले अन्य खेलो पर कब्ज़ा कर रखा है एक अनुमान के मुताबिक लगभग 50 प्रतिशत जनता क्रिकेट देखने में रुचि रखती है मतलब भारत का हर दूसरा व्यक्ति क्रिकेट देखने या क्रिकेट खेलने का शौकीन है।

क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहाँ किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं होता है यहाँ किसी का रंग, रूप, हाईट या शरीर देखकर चयन नहीं होता है यहाँ सिर्फ क्रिकेटर को क्रिकेट के प्रति अपनी प्रतिभा और कुशलता दिखानी पड़ती है इसीलिए इस खेल को जेंटलमैन गेम्स भी कहा जाता है तो चलिए दोस्तो अब जानते हैं कि क्रिकेट का इतिहास क्या है।

क्रिकेट का इतिहास :-

दोस्तों क्रिकेट का इतिहास क्रिकेट के ही तरह काफी रोमांचक है – 17वीं शदी तक क्रिकेट अन्य खेलों की तरह प्रचलित हो चुका था अब ये खेल युवाओं को अपनी ओर इस कदर आकर्षित करने लगा था की संडे को चर्च में जाकर इस खेल को देखने या खेलने के लिए खेल के मैदान में चले जाते थे हालांकि बाद में इस खेल की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस खेल को संडे के दिन खेलने और देखने के लिए कई नियम और कानून बना दिये गये थे क्योंकि पादरीयो को डर था कि लोग इस की बजह से धार्मिक भावना से दूर हो रहे हैं।

क्रिकेट का जन्म स्थान ग्रेट ब्रिटेन को माना जाता है लेकिन शुरुआती दौर में इसे खेलने के लिए कोई नियम और कानून नहीं थे लेकिन 17वी शताब्दी में जब खेल बड़े लोगों के बीच खेला जाने लगा तब इस खेल को खेलने के लिए कई नियम और कानून बनाये गये अब धीरे धीरे ये खेल अमीरों में भी लोकप्रिय होने लगा था और ये उनका शाही खेल बन गया था फिर 1611 में क्रिकेट खेल को पहली बार डिक्सनरी में जोड़ा गया।

अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत :-

अभी तक क्रिकेट मुख्य रूप से इंग्लैंड में खेला जाता था लेकिन 18वीं शदी में ये खेल दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचने लगा था 1844 में सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच संयुक्त राज्य अमेरिका और कैनेड़ा के बीच खेला गया था ये मैच न्यूजर्षी के लेशियन फील्ड में खेला गया था जो काफी सफल रहा था. सन 1859 में पहली बार प्रमुख अंग्रेजी क्रिकेट टीम विदेश दौरे पर रवाना हुई और 1862 में पहली अंग्रेजी टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया सन 1877 में इंग्लैंड पर्यटन टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दो मैच ऑस्ट्रेलिया में खेले थे. और इसी सीरीज को टेस्ट मैचों का उद्घाटन माना जाता है।

सन 1882 में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड का दौरा किया जो बहुत ही सफल दौरा था. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 1882 में लन्दन के केनिटल ओवल के मैदान पर टेस्ट मैच खेला गया जिसमे ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 7 रन से हराया था जो किसी भी देश की इंग्लिश जमीन पर पहली जीत थी. फिर 1889 में दक्षिण अफ्रीका भी टेस्ट क्रिकेट खेलने बाला राष्ट्र बन गया क्रिकेट की शुरुआत वही हुई है जहाँ पर ब्रिटिश हुकूमत कायम हुई थी वैस्टैंडीज में इस खेल की शुरुआत कार्लनेस द्वारा की गई वहीं भारत में इस्टइंडिया कंपनी के नागरिकों द्वारा शुरू किया गया था जो अपने मनोरंजन के लिए खेलते थे।

क्रिकेट में वक्त के साथ हुए कुछ बदलाव :-

जैसे जैसे क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ती गयी वैसे वैसे समय के साथ साथ क्रिकेट में बदलाव एवं सुधार होते गए. पहले क्रिकेट में खिलाडी को किसी एक बल्ले का इस्तमाल करने की अनुमति थी लेकिन आज के समय में Cricket में बेस्टमैन एक के अलावा दूसरे बल्ले का भी इस्तमाल कर सकता है.

पहले के समय में गेंदबाजी आज की तरह नहीं होती थी उस समय अंडर्राउंड गेंदबाजी हुआ करती थी फिर 1880 में बदले में ओवरआम गेंदबाजी कर दी गई इसके अलावा पहले एक ओवर में कभी आठ या चार गेंदे फेंकी जाती थी फिर सन 1889 तक चार गेंद प्रति ओवर ही फेकी जाने लगी जो बाद में बदलकर पाँच गेंद प्रति ओवर हो गई थी और फिर सन् 1900 से 6 गेंद प्रति ओवर का नया नियम बना दिया गया था

परन्तु बाद में भी कुछ देशो ने आठ गेंद प्रति ओवर का नियम बनाया रखा था जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी क्रिकेट टीमें शामिल थी आठ गेंद प्रति ओवर का प्रचलन 1940 तक चलता रहा लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट द्वितीय विश्व युद्ध के कारण निलंबित कर दिया गया था और जब क्रिकेट दोबारा शुरू हुआ तो 6 गेंदो का ओवर दोबारा से सभी देशों द्वारा अपना लिया गया था. सन 1974 में पहली बार LBW को लागु किया गया था ताकि बोलर्स को भी तरजीत दी जा सके और बैट्समेन गलत फायदा न उठा सके हालांकि इसे 1980 में फिर से नये तरीके से लागु किया गया था और पहली बार एमपायर्स को फैसला लेने के लिए चुना गया था।

क्रिकेट में हुई कुछ अहम घटनाएं :-

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को सबसे बड़ा संकट दक्षिण अफ्रीका की नसली अलगाऊ नीति के करण हुआ था ये स्थिति 1961 मे दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्र मंडल देशों के समूह छोड़ने से विकेन्द्रित हुआ इसी करण उसी क्रिकेट नियमों के तहत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सम्मेलन यानी ICC को अलग होना पड़ा सन 1968 में क्रिकेट का रंगभेद का विरोध और तेज हो गया जब दक्षिण अफ्रीकी अधिकारों ने इंग्लैंड के दौरे को रद्द कर दिया क्योंकि तुलसी डी ऑलिवेरा नामक नस्लीय खिलाडी को इंग्लैंड टीम ने शामिल कर लिया था।

सन 1970 में ICC के सदस्यों ने दक्षिण अफ्रीका को हमेशा के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता से निलंबित करने के लिए मतदान किया लेकिन मुश्किल ये थी कि उस समय दक्षिण अफ्रीका विश्व में सबसे ताकतबर टीम थी दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम बोर्ड ने ज्यादा धंदे कर अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को एक अलग टीम बनाकर अपने देश का दौरा करने के लिए प्रेरित किया ताकि अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के प्रतियोगिता की इच्छा को पूरा कर सके. तभी ICC ने उन खिलाड़ियों को विद्रोही की काली सूची में डाल दिया जो दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए सहमत हुए थे और अधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से प्रतिबंधित कर दिया।

लेकिन 1970 तक खिलाड़ियों को दी जाने बाली बेतन बहुत ही कम हुआ करती थी कई खिलाड़ियों ने दक्षिण अफ्रीका दौरे के प्रस्ताव सिर्फ पैसों के लिए स्वीकार किए विशेष रूप से इसमें वो खिलाडी शामिल थे जो करियर के आख़री पड़ाव पर थे जिन्हे प्रतिबंध से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता था बाद में दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में प्रगति हुई और रंग भेद को समाप्त कर दिया गया और दक्षिण अफ्रीका एक नया राष्ट्र उभरकर सामने आया जिसके अंतर्गत 1991 में इसे अंतर्राष्ट्रीय खेल में वापिस जगह मिल गई थी।

वंडे मैच की शुरुआत :-

सन 1960 के दशक में अंग्रेजी काउंटी टीमों ने क्रिकेट के अलग अलग रूपों की शुरुआत की जिसमे प्रत्येक खेल में एक एक ही पारी होगी तथा प्रत्येक पारी में ओवरों की अधिकतम संख्या निश्चित कर दी गई यहाँ से धीरे धीरे सीमित ओवर्स की क्रिकेट की लोकप्रिया में बृद्धि हुई सीमित ओवर्स के क्रिकेट में दर्शकों को एक हि दिन के अंदर खेल का परिणाम मिलने लगा जिस वजह से छोटे, बुजुर्ग या व्यस्त लोगों की भी क्रिकेट के प्रति चाह बढ़ने लगी और व्यबसायिक द्रष्टि यानी की बिजनेस के लिहाज से भी ये काफी सफल हुआ।

विश्व का पहला सीमित ओवर का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच मैलबन क्रिकेट मैदान पर हुआ यह ये मैच सन 1971 में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के तीन दिन भारी वारिस की बजह से असफल होने के बाद दोनो टीमों की सहमती से एक दिवसीय यानी कि वंडे मैच खेला गया ये मैच केबल प्रयोग के रूप में खेला गया था लेकिन ये बेहद लोकप्रिय साबित हुआ धीरे धीरे सीमित अंतर्राष्ट्रीय ओवर का खेल लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया विशेष रूप से उन व्यस्त लोगो के लिए जो एक ही दिन में पूरा मैच देखना चाहते थे.

जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने इस सीमित ओवर के खेलो की लोकप्रियता को देखते हुए और इसके विकाश के लिए 1975 में इंग्लैंड में क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन किया जिसमे टेस्ट मैच खेलने वाले सभी देशो ने भाग लिया था और बैसटैंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर ये खिताब अपने नाम कर लिया था।

क्रिकेट की शुरुआत कब हुई :-

वैसे तो यह बता पाना बहुत ही मुश्किल है कि क्रिकेट असल में कब शुरू हुआ क्योंकि क्रिकेट के विषय पर इतिहासकारों द्वारा समय समय पर अलग अलग दलीले दी जाती हैं लेकिन ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि क्रिकेट की शुरुआत 14वी शदी में हुई थी इन इतिहासकारों के मुताबिक क्रिकेट इंग्लैंड के छोटे से कस्बे भील के रहने बाले बच्चों द्वारा ढूंढा गया खेल है जो कि कई पीढ़ियों तक बच्चों के खेल के रूप जाना गया है।

दरअसल ये खेल ज्यादातर चारवाहों के बच्चे अपनी भेड़ बकरियों को चराते समय खेला करते थे शुरुआत में ये खेल लकड़ी की गेंद और किसी कृषि औजार से खेला करते थे जो कि सिर्फ खुद के मनोरंजन के लिए खेला करते थे इस खेल में बल्लेबाज द्वारा गेंद को रोककर जोर से मारकर अपने लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए किया जाता था ये भेड़ के चारागाह या इसके किनारे खेला जाता था इस खेल में लकड़ी की गेंद या भेड़ के ऊन के गोलों को गेंद के रूप में और बल्ले के रूप में छड़ी या अन्य कृषि औजार को लिया जाता था एवं स्टूल या बांश को विकेट के रूप में इन बच्चों द्वारा प्रयोग किया जाता था।

16वीं शदी से ये खेल धीरे धीरे बच्चों से होता हुआ बुजुर्गो और नौंजवानों में प्रसिद्ध होने लगा अब नों जवान युवा भी इस खेल में दिलचस्पी लेने लगे थे और फिर एक नया खेल इस दुनिया के सामने आया तब से इस खेल को ‘क्रिकेट’ कहा जाता था।

निष्कर्ष (क्रिकेट का इतिहास) :-

हमारे द्वारा लिखा गया ये लेख आपको कैसा लगा हमे अपनी राय जरुर बताएं और आपमें से किस किस को क्रिकेट पसंद है वो भी हमें कमेंट करके बताएं. और अगर आपको क्रिकेट अच्छा लगता है तो इसे आप शेयर अवश्य करे जिससे और भी लोगो को क्रिकेट के बारे मे जानकरी मिल सके शेयर करने के लिए Facebook Whatsapp Twitter जैसे सोशल नेटवर्क का उपयोग कर सकते हो।

यदि अभी भी आपका क्रिकेट का इतिहास से जुड़ा कोई सवाल या डाउट है तो आप हमसे उसके बारे मे भी सवाल कर सकते हैं हम आपके सवाल जा जबाब देने की पूरी कोशिश करेंगे तो आज के लिए बस इतना ही मिलते है अगले नेक्स्ट टॉपिक के साथ तब तक के लिये आप अपना ख्याल रखिये. धन्यवाद जय हिन्द बन्दे मातरम

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Dharmendra Choudhary

नमस्कार दोस्तो, मैं Dharmendra Choudhary Hindilive.Net का Founder हूँ,अगर में अपनी पढाई की बात करू तो मैंने Graduate किया है। मुझे टेक्नोलॉजी से जुड़ा रहना बहुत पसंद है।

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