Electricians Tips & TricksInternet Tips

घड़ी का अविष्कार किसने किया? जानिए पूरी जानकारी हिन्दी में

घड़ी का अविष्कार किसने किया और इसका इतिहास क्या है – दोस्तों यदि आज हमारे पास साधारण सी दिखने वाली घडी नहीं होती तो आज के इस आधुनिक भरी दुनिया में हमारा जीवन बहुत ही मुश्किलों से भरा होता और इतना ही आज के टाइम जो चीजें एक एक सेकेंड के हिसाब से चल रही हैं।

जैसे हवाई जहाज का समय, रेलगाड़ी का समय एवं ऑफिस जाने का समय तो सब कुछ सम्भव नहीं हो पाता। तो दोस्तो कुल मिलाकर यदि कहा जाए तो आज के आधुनिक समय में घड़ी के बिना जीवन का आधुनिक करण संभव ही नहीं था।

लेकिन क्या आपको पता है की इतने महत्वपूर्ण यंत्र घड़ी का अविष्कार किसने किया और कब किया अगर नहीं पता तो आज के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको पता चल जाएगा की घड़ी का अविष्कार कब और किसने किया था।

प्राचीनकाल से लेकर आज तक घडी के अविष्कार का दिलचस्प इतिहास जानने के लिए इस लेख को अंत तक पूरा पढ़े ताकि आपको आसानी से समझ में आ सके.

हाइड्रोलिक घड़ियों का अविष्कार किसने किया

आपको बता दे की आज से तीन सौ शादी पहले यूनान के रहने वाले आर्केडिज्म ने बॉयन्ट फोर्स की खोज कर ली थी जिसके बाद उन्होंने हाइड्रोलिक घडी का अविष्कार किया था उन्होंने पानी में तैरने वाला एक इंडिकेटर डाल दिया था और वर्तन के साथ एक मीटर लगा दिया था फिर जैसे जैसे पानी की बूंदों से वर्तन में पानी भरता गया तो मीटर के जरिए समय का पता चल जाता था।

फिर इस शदी में श्रीविस्टियन नाम के वैज्ञानिक ने पानी के जरिये ही घडी बना डाली उन्होंने एक चाबीदार घडी को किसी तैरने वाली धातु पर लगाकर किसी वर्तन में डाल दिया और फिर उस छड़ को एक चाबीदार पहिए से जोड़ दिया जो की पहले से ही कुछ अंको को दर्शाती थी।

फिर जैसे जैसे पानी की एक एक बून्द उस पे गिरती गयी और वो पानी को ऊपर उठाती गयी जिससे पहिया धीरे धीरे घूमता था जिससे समय का पता लगाया जाता था।

आपको बता दें की किसी तरह जल का प्रयोग करके कई शदियों तक कई देशों में वाटरक्लॉक टॉवर बनाया गया और बहुत सी जगहों पर इसी पानी का प्रयोग करके उसमें एक घण्टी भी लगायी गयी. जिसके शबूत आज से लगभग दो तीन हजार साल पहले प्राचीन यूनान में मिलते हैं।

यूनान देश में पानी से चलने वाली घड़ियां बनायीं गयी थी जिसमें पानी के गिरते स्थिर के तय समय में बाद घड़ी की घण्टी बज जाती थी. ये उस समय में एक बहोत ही बड़ा अविष्कार माना जाता था।

फिर नौंवी शदी में इंग्लैंड के महान Alfred Great (अल्फ्रेड ग्रेट) ने मोमवत्ती द्वारा समय का ज्ञान करने की विधि का अविष्कार किया उन्होंने एक मोमवत्ती पर लम्बाई की और समान दूरी पर चिन्ह अंकित कर दिए फिर मोमवत्ती के जलने पर सभी चिन्ह तक उसकी लम्बाई पे पहुंचने तक निश्चित समय दर्ज कर लिया जाता था।

आधुनिक घड़ी का अविष्कार किसने किया

आधुनिक घडी के अविष्कार के बारे में जानने से पहले आपको ये बताना भी बहुत जरूरी है की इसका भी अविष्कार एक बार में नहीं हुआ दरसअल पहले घड़ी की घण्टे वाली सुई हुआ करती थी फिर कुछ समय बाद मिनिट वाली सुई और इसके बाद सेकेण्ड वाली सुई आ आयी थी।

इतिहास और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार घडी के अविष्कार का श्रेय Pope Sylvester II को जाता है जिन्होंने सन 996 ई.स. में यांत्रिक घड़ी का अविष्कार किया था. आपको बता दे की यांत्रिक घड़ियों मे अनेक प्रकार के पहिए लगे होते हैं।

जो किसी कमानी लटकते हुए भार या अन्य उपायों द्वारा चलते हैं जिन्हे किसी डोलन सील व्यवस्था द्वारा इस  प्रकार से नियंत्रित किया जाता है की इनकी गति एक बराबर होती है. इसके अलावा इसके साथ घंटा या घंटी भी होती है जो निश्चित समय पर खुद बजने लगता था जो समय की सूचना देता था।

यूरोप में इस घडी का प्रयोग 13वी शताब्दी के मध्य में कई जगहों पर होने लगा हालाँकि उस समय बनी ये घड़ी आज तक की Complete घङी नहीं थी क्योंकी इसमें ना तो मिनिट की सुई थी और नाही सेकेड की।

Read more – हवाई जहाज का अविष्कार किसने किया

यांत्रिक घड़ियों का अविष्कार किसने किया

आपको बता दे की इतिहासकरों के मुताबिक सन 1300 में Henry Devika (हेनरी देविका) ने घण्टो से निर्देश देने वाली पहली घडी बनायी थी जिसमें भी मिनिट और सेकेण्ड की सुई नहीं थी. आज की यांत्रिक घड़ियों को इसी श्रंखला की संशोधित घडी माना जाता है।

16वी शताब्दी में जो घडी थी वो काफी बड़ी थी जो किसी बाजार या साधनिक महल पर लगी होती थी इसलिए इस घडी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बहुत मुश्किल था. इतिहासकरो के अनुसार सन 1577 में घडी की मिनिट वाली सुई का अविष्कार शूजरलैंड के George Bergi(जॉर्ज बर्गी) द्वारा उनके एक मित्र खगोल शास्त्री के लिए किया गया था जिसका इस्तमाल घड़ियों में किए जाने लगा।

उस समय घडी के पुर्जे जैसे गेयर कटिंग, स्टील निर्माण उतना अच्छा नहीं था जितना अच्छा आज है इसके साथ साथ वो बहुत ज्यादा वजनी भी होती थी इसीलिए समय समय पर घड़ियों को छोटा और हल्का करने के लिए कई प्रयास होते रहे।

आपको बता दे की सबका मानना है की सबसे पहले जर्मनी के एक शहर मेंPeter Henlein (पीटर हेनले) ने एक ऐसी घडी बनाई थी जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया सकता था जर्मन इतिहासकारों के मुताबिक उन्हें छोटी घडी सजावटी पीतल निर्माता के रूप मे जाना जाता है। जिन्हे कुछ देशों में आधिकारिक रूप से घडी का अविष्कारक माना जाता है।

सन 1675में संतुलित स्पाइरल स्प्रिंग के प्रयोग से घडी के समय मापने की छमता में काफी बदलाव देखने को मिला घडी अब हर घण्टे एवं मिनिट मापने में भी कारगर हो गयी थी और इसका आकार छोटा हो जाने से इसके उपयोगकर्ता में भी परिवर्तन हो गया था।

अब घडी फैशन के रूप में इस्तमाल होने लगी थी इसका चलन तब से शुरू हुआ जब इंग्लैंड के राजा चार्ल्स वी ने सोने की चेन के साथ जोड़कर कोट की ज़ेब में इसको रखा था।

वर्तमान समय में हम जो घड़ी अपने हांथ में पहनते हैं वैसी घडी को Blaise Pascal ने बनायी थी ये वही ब्लैस पास्कल हैं जिन्हे केलक्लोटर का भी अविष्कार माना जाता है। लगभग सन 1650 तक लोग घडी को ज़ेब में रखकर घूमते थे लेकिन ब्लैस पास्कल ने इस घडी को अपनी हथेली पर एक रस्सी से इसे बांध लिया ताकि वो काम करते समय इसे बेच सकें।

आपको बता दें की समय के साथ साथ कई तरह की  घड़ियाँ बनने लगी जिसके चलते बहुत से व्यापारी घड़ी की अलग अलग डिजाइन बनाकर व्यापार में आने लगे परन्तु इससे पहले पुराने ज़माने में घड़ियाँ बहोत महंगी हुआ करती थी जिसे हर कोई नहीं खरीद सकता था।

इसीलिए 18वी शदी में कई राजाओं द्वारा अपने अपने छेत्र में समय देखने के लिए बड़े बड़े क्लॉक टॉवर बनवाए थे जिसमें बड़ी बड़ी घड़ियाँ लगी होती थी और ये टॉवर ऐसी जगहों पर लगाए गए थे जहा से लोगों को समय देखने में आसानी हो।

उदाहरण के तौर पर आप लखनऊ एवं देहरादून के घंटा घर को देख सकते हैं भारत में समय देखने के लिये पहले से ही कई प्रयास किये गये थे जिसके चलते पांच जगहों पर जंतर मंतर का निर्माण भी करवाया था ताकि इससे सूरज की परछाई से समय का सही आकलन लगाया जा सके.

घड़ी के अविष्कार का इतिहास

दोस्तों आपको बता दें की वर्तमान समय में इस्तमाल की जाने वाली घडी का अविष्कार एक ही बार में नहीं हुआ था. किसी पहले मिनिट वाली सुई बनाई तो किसी ने घण्टे वाली सुई बनायी इस तरह पूरी दुनिया में घड़ी का निर्माण कई चरणों में हुआ था।

आज की दुनिया मे हम सब घडी की सुईयों की नोंक पर दौड़ते हैं अर्थात सभी लोग समय के हिसाब से जागते हैं जैसे की ऑफिस जाना, किसी के लिए इंतजार करना, खाना खाना आदि तो ऐसे मे सवाल उठता है की उस समय लोग अपनी दिनचर्या को कैसे चलाते होंगे क्योंकी उस समय घडी हुआ ही नहीं करती थी।

आपको बता दे की इतिहास कारों को इसका ज्ञान नहीं है जिस तरह समय के पल पल का हिसाब आज घड़ी रखती है वो घडी के बनने के पहले मापा कैसे जाता था लेकिन इतना जरूर है की इंसान को जब से समय को समझने का एहसास हुआ तब से वे लोग पहले घडी को सूरज के उगने और डूबने में ज्ञात करते होंगे।

प्राचीनकाल में कई दसको तक मनुष्य इसी प्रकार अपना काम करता रहा होगा। इंसान रात और दिन के समय आभाष करता होगा और अनुमान लगाता रहा होगा की अब दिन का या रात का पहरा खत्म हो गया है और दूसरा शुरू होने वाला है।

फिर जैसे जैसे इंसानों में बुद्धि का विकास हुआ तो उसकी समय को मापने की जिज्ञासा और बढ़ती चली गयी जिसके चलते लोग सूरज की दिशा को देखकर ही समय का अनुमान लगाना शुरू करने लगे।

ऐसी विधि का प्रचलन प्राचीनकाल से होता चला आ रहा है जिसमे आकाश सूर्य के घूमने के कारण किसी पत्थर या लोहे की स्थिर टुकड़े की परछाई की गति में होने वाले बदलाव के द्वारा समय का अनुमान निकाला जाता था। सूर्य घड़ी देखकर लगभग समय का अनुमान लग जाता था लेकिन ये घडी उस समय काम नहीं कर पाती थी क्योंकी जब बादल होते थे।

इसका उपयोग प्राचीनकाल की सभयता में किया जाता है ये भी कहा जाता है की घड़ी वैज्ञानिक रूप से समय की गड़ना करने वाला पहला अविष्कार था हालाँकि इसमें कुछ कमियां मौजूद थी जिसके लिये उन्हें फिर दूसरा उपाय ढूढ़ने की जरूरत हुई।

इसी जरुरत के चलते कई शदी के बाद समय जानने के लिये “जल घड़ी” का अविष्कार हुआ था जिसे चाइना और भारतीय लोगों के द्वारा आज से लगभग तीन हजार वर्ष पहले बनाया गया था।

भारत में बनी घडी को घड़िका यंत्र कहा जाता था हालांकि समय के साथ ये विधि बहुत से देशों के लोगों को भी पता चल गयी. आपको बता दे की जल घडी में दो पत्रों का प्रयोग होता था एक पात्र में पानी भर दिया जाता था और उसकी निछले हिस्से में छेद कर दिया जाता था।

जिससे उसका थोड़ा थोड़ा जल नीचे रखे दूसरे पात्र मे गिरता रहता था जिससे दूसरे पात्र में इखठठा हुए जल की मात्रा को मापकर समय का पता लगाया जाता था बाद में कई देशों में पानी के स्थान पर बालू का उपयोग किया जाने लगा।

Conclusion

अब आपको पता चल गया होगा की आखिर घड़ी का अविष्कार किसने किया था और इसका इतिहास क्या है. तो कैसा लगा आप सभी को आज का ये लेख हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं। दोस्तों इस आर्टिकल को लिखने के लिये हमें बहुत समय लगा है इस पोस्ट में हमने आपको घड़ी के अविष्कार की पूरी जानकारी बतायी है।

यदि वास्तव में आपको यह लेख अच्छी लगा है तो इस पोस्ट को अपने अन्य सभी दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ Share जरूर करे शेयर करने पर आपको कुछ नहीं जाता है आप Whatsapp, Facebook आदि सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं जिससे उनको भी घडी का अविष्कार किसने किया और इसका इतिहास क्या है इसके बारे में पता चल सके. धन्यवाद

Dharmendra Choudhary

नमस्कार दोस्तो, मैं Dharmendra Choudhary Hindilive.Net का Founder हूँ,अगर में अपनी पढाई की बात करू तो मैंने Graduate किया है। मुझे टेक्नोलॉजी से जुड़ा रहना बहुत पसंद है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button